चोरी करने के नायाब तरीके से पुलिस वाले भी रह गए सन्न
बिलासपुर. चोरी करने के लिए अपने आपको पूरी रात कैद रखने की बात पर शायद ही विश्वास हो, पर आरपीएफ ने एक ऐसे ही गिरोह का पर्दाफाश किया है। तीन सदस्यीय गिरोह एसी कोच के केबल और ट्रांसफार्मर की चोरी के लिए बोगी में पूरी रात कैद रहता और सुबह बोगी के खुलते ही फरार हो जाता।
रेलवे पुलिस ने आरोपियों के अलावा चोरी का सामान खरीदने वाले कबाड़ी को भी गिरफ्तार किया है। बिलासपुर आरपीएफ को पिछले कुछ महीनों से एसी कोच में चोरी की शिकायतें मिल रहीं थी।
24 जनवरी से 6 फरवरी 2012 के बीच ही छत्तीसगढ़, नर्मदा और एर्नाकुलम एक्सप्रेस के एसी कोच में सप्लाई केबल और ट्रांसफार्मर की चोरी हुई। सवाल यह था कि बंद कोच में चोरी कैसे हो रही है। दरअसल, बिलासपुर में समाप्त होने वाली ट्रेनों की बोगियों को यात्रियों के उतरने के बाद लॉक कर यार्ड में रख दिया जाता है।
दूसरे दिन या फिर रात में सफाई के लिए कोचिंग डिपो भेजा जाता है। आरपीएफ ने कोचिंग डिपो के कर्मचारियों से पूछताछ की तो पता लगा कि सभी कोच बंद ही मिले हैं।
किसी भी कोच का दरवाजा खुला ही नहीं था तो फिर चोरी कैसे हुई? आरपीएफ के लिए यह अबूझ पहेली साबित हो रही थी। शुक्रवार की रात बिलासपुर यार्ड की निगरानी कर रहे आरपीएफ जवानों को पुराने लोको शेड की बिल्डिंग में हलचल सुनाई दी। ारपीएफ ने घेराबंदी करके तलाशी ली तो तीन युवक एक बड़े मोटर को खोलते हुए मिले।
थाने में कड़ाई से पूछताछ हुई तो युवक टूट गए और उन्होंने वह घटना बयां कर दी, जिसकी उम्मीद आरपीएफ को भी नहीं थी। आरोपियों ने एसी कोच में चोरी करने की बात स्वीकार की और यह भी बताया कि छत्तीसगढ़, नर्मदा और एर्नाकुलम एक्सप्रेस में चोरी को उन्होंने ही अंजाम दिया था।
आरपीएफ ने लोको कालोनी निवासी मनसूर अंसारी उर्फ छोटू (19), झोपड़ापारा निवासी सन्नी चौहान (16) व रोशन शाहनी (15) के खिलाफ चोरी का अपराध दर्ज कर जेल भेज दिया है।
ऐसे करते थे चोरी
पकड़े गए आरोपियों ने खुलासा किया कि वे बिलासपुर में समाप्त होने वाली ट्रेनों को निशाना बनाते थे। ट्रेन जैसे ही बिलासपुर पहुंचती, वे एसी कोच के टॉयलेट में घुस जाते। वे टॉयलेट से तब तक बाहर नहीं आते थे, जब तक कि एसी कोच को लॉक न कर दिया जाए।
कोच के लॉक होने के बाद वे बाहर आते और अपने काम में जुट जाते। कोच के ऊपर एसी के लिए लगे तांबे के केबल को खोलते और टुकड़ों में बांट लेते। इसी तरह छोटे-छोटे ट्रांसफार्मर पर भी हाथ साफ करते। काम पूरा होने के बाद वे कोच में ही कैद रहते। धुलाई के लिए कोचिंग डिपो पहुंचने पर जब दरवाजा खुलता तो आरोपी इसी समय मौका पाकर फरार हो जाते।
रेलवे पुलिस ने आरोपियों के अलावा चोरी का सामान खरीदने वाले कबाड़ी को भी गिरफ्तार किया है। बिलासपुर आरपीएफ को पिछले कुछ महीनों से एसी कोच में चोरी की शिकायतें मिल रहीं थी।
24 जनवरी से 6 फरवरी 2012 के बीच ही छत्तीसगढ़, नर्मदा और एर्नाकुलम एक्सप्रेस के एसी कोच में सप्लाई केबल और ट्रांसफार्मर की चोरी हुई। सवाल यह था कि बंद कोच में चोरी कैसे हो रही है। दरअसल, बिलासपुर में समाप्त होने वाली ट्रेनों की बोगियों को यात्रियों के उतरने के बाद लॉक कर यार्ड में रख दिया जाता है।
दूसरे दिन या फिर रात में सफाई के लिए कोचिंग डिपो भेजा जाता है। आरपीएफ ने कोचिंग डिपो के कर्मचारियों से पूछताछ की तो पता लगा कि सभी कोच बंद ही मिले हैं।
किसी भी कोच का दरवाजा खुला ही नहीं था तो फिर चोरी कैसे हुई? आरपीएफ के लिए यह अबूझ पहेली साबित हो रही थी। शुक्रवार की रात बिलासपुर यार्ड की निगरानी कर रहे आरपीएफ जवानों को पुराने लोको शेड की बिल्डिंग में हलचल सुनाई दी। ारपीएफ ने घेराबंदी करके तलाशी ली तो तीन युवक एक बड़े मोटर को खोलते हुए मिले।
थाने में कड़ाई से पूछताछ हुई तो युवक टूट गए और उन्होंने वह घटना बयां कर दी, जिसकी उम्मीद आरपीएफ को भी नहीं थी। आरोपियों ने एसी कोच में चोरी करने की बात स्वीकार की और यह भी बताया कि छत्तीसगढ़, नर्मदा और एर्नाकुलम एक्सप्रेस में चोरी को उन्होंने ही अंजाम दिया था।
आरपीएफ ने लोको कालोनी निवासी मनसूर अंसारी उर्फ छोटू (19), झोपड़ापारा निवासी सन्नी चौहान (16) व रोशन शाहनी (15) के खिलाफ चोरी का अपराध दर्ज कर जेल भेज दिया है।
ऐसे करते थे चोरी
पकड़े गए आरोपियों ने खुलासा किया कि वे बिलासपुर में समाप्त होने वाली ट्रेनों को निशाना बनाते थे। ट्रेन जैसे ही बिलासपुर पहुंचती, वे एसी कोच के टॉयलेट में घुस जाते। वे टॉयलेट से तब तक बाहर नहीं आते थे, जब तक कि एसी कोच को लॉक न कर दिया जाए।
कोच के लॉक होने के बाद वे बाहर आते और अपने काम में जुट जाते। कोच के ऊपर एसी के लिए लगे तांबे के केबल को खोलते और टुकड़ों में बांट लेते। इसी तरह छोटे-छोटे ट्रांसफार्मर पर भी हाथ साफ करते। काम पूरा होने के बाद वे कोच में ही कैद रहते। धुलाई के लिए कोचिंग डिपो पहुंचने पर जब दरवाजा खुलता तो आरोपी इसी समय मौका पाकर फरार हो जाते।
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